Sanatan Board | Ek Avashyak Shankhnaad | Shri Devkinandan Thakur Ji | Invincible(Paperback, Shri Devkinandan Thakur Ji)
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"सनातन बोर्ड: एक आवश्यक शंखनाद"विचार नहीं, एक धर्मजागरण है।यह पुस्तक उस मौन वेदना का स्वर है, जो सनातन धर्म पर हो रहे निरंतर आघातों से उपजी है। यह केवल मंदिर प्रबंधन की समस्या नहीं उठाती, बल्कि उस सनातन चेतना को जगाने का प्रयास है, जो भारत के कण-कण में रची-बसी है। कभी हमारे मंदिर ज्ञान, चिकित्सा, सेवा और संस्कृति के केंद्र थे। आज वे सरकारी हस्तक्षेप, विधर्मी साज़िशों और भ्रष्ट तंत्र के कारण अपनी गरिमा खो रहे हैं। यह पुस्तक बताती है कि अब समय आ गया है जब एक स्वतंत्र, पारदर्शी और धर्मसम्मत 'सनातन बोर्ड' की स्थापना हो - जो मंदिरों की आत्मा की रक्षा कर सके। इतिहास, शास्त्र, पुराण, उपनिषद और आधुनिक यथार्थ के आधार पर यह ग्रंथ सिद्ध करता है कि धर्म की रक्षा केवल भावना से नहीं, बल्कि संगठन और समर्पण से होती है। वक्फ बोर्ड जैसे उदाहरणों की तुलना से यह भी स्पष्ट होता है कि किस प्रकार योजनाबद्ध रूप से सनातन परंपरा को दबाया जा रहा है। लेखक की शैली भक्ति और तर्क का सुंदर समन्वय प्रस्तुत करती है। इसमें श्री देवकीनंदन ठाकुर जी की वाणी की छाया स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। यह पुस्तक उन सभी के लिए है जो चाहते हैं कि भारत का भविष्य उसकी जड़ों से जुड़ा हो, और जो मानते हैं कि अब मौन रहना आत्मघात के समान है। "सनातन बोर्ड" आत्मसम्मान, संस्कृति और धर्म की रक्षा के लिए एक शंखनाद है। राधे-राधे !